सूरजपुर। विकासखंड प्रेमनगर के ग्राम पंचायत केदारपुर के धनुहारपारा
मोहल्ले में निवासरत पण्डो जनजाति के परिवार वर्षों से बिजली की सुविधा से वंचित
हैं। सरकारी दावों और योजनाओं के बीच यह मोहल्ला आज भी उस अंधेरे में जी रहा है, जो विकास की वास्तविक
तस्वीर को उजागर करता है। क्षेत्र में कई साल पहले विद्युत विभाग ने बिजली के खंभे
तो लगा दिए थे, परंतु तार खींचने का कार्य आज तक नहीं हुआ। परिणामस्वरूप पण्डो
समुदाय के लगभग 11 परिवारों के 30 सदस्य बिना बिजली के जीवन यापन करने को मजबूर हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि यह स्थिति केवल एक तकनीकी कमी नहीं, बल्कि एक संगठित लापरवाही का परिणाम है। केंद्र और राज्य सरकारें हर घर बिजली पहुंचाने की घोषणाएँ करती हैं, परंतु धनुहारपारा जैसे छोटे मोहल्लों में विकास का काम आधा छोड़ दिया जाता है। बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है, महिलाएं अंधेरे में असुरक्षित महसूस करती हैं और सांप-बिच्छू जैसे जीवों का खतरा हमेशा बना रहता है।
मीणों ने यह सवाल भी उठाया कि जब इस क्षेत्र को पण्डो जनजाति जैसे संरक्षित समुदाय का निवास माना जाता है, तो आदिवासी विकास विभाग की भूमिका अब तक सीमित क्यों रही। विभाग योजनाओं के नाम पर राशि खर्च करने की बात करता है, लेकिन पंडो परिवारों के घरों में एक बल्ब तक जलाने की व्यवस्था नहीं हो सकी। लोगों ने कहा कि यह विभागीय उदासीनता का स्पष्ट प्रमाण है।
विद्युत विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर भी ग्रामीणों में नाराज़गी है। लोगों ने बताया कि खंभे लगाने के बाद अधिकारी कभी पीछे मुड़कर देखने नहीं आए। न निरीक्षण हुआ, न किसी ने यह जानने की कोशिश की कि काम अधूरा क्यों पड़ा है। ग्रामीणों ने तंज कसते हुए कहा कि विकास का काम केवल “फोटो खिंचवाने” तक सीमित नहीं होना चाहिए।
इस पूरी स्थिति से परेशान होकर पण्डो परिवारों ने हमर उत्थान सेवा समिति के माध्यम से कलेक्टर सूरजपुर को आवेदन सौंपा है और क्षेत्र में शीघ्र बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने की मांग रखी है।
इस दौरान समिति के अध्यक्ष चन्द्र प्रकाश साहू ने विभागों की लापरवाही को उजागर किया। उन्होंने कहा “वर्षों पहले खंभे लगा दिए गए, पर आज तक 100 मीटर तार नही खींचे गए। यह केवल देरी नहीं, बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र की संवेदनहीनता है। पण्डो जनजाति जैसे संरक्षित समुदाय को अंधेरे में छोड़ देना शर्मनाक है। हम जनता की आवाज़ हैं और जब तक इस मोहल्ले में बिजली नहीं पहुंचेगी, हमारी लड़ाई जारी रहेगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार कागजों में
योजनाओं की घोषणा कर देती है, लेकिन धरातल पर उसका कार्यान्वयन उस गंभीरता से नहीं होता जो
पण्डो जनजाति जैसे कमजोर समुदायों के लिए होना चाहिए।
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और संबंधित विभागों से मांग की है कि बिजली तार तत्काल खींचकर आपूर्ति शुरू की जाए, ताकि पण्डो परिवारों को भी वह सुविधा मिल सके जो उनकी बुनियादी जरूरत है और जिसका वादा सरकार कई बार कर चुकी है।