- धान की फसल रौंदी, बाइक कुचली,  11 हाथियों के झुंड ने मचाई दहशत

- ग्रामीणों की मांग,  “खनन पर रोक लगाकर हाथियों का प्राकृतिक घर बचाया जाए

सूरजपुर/प्रेमनगर। ग्राम पंचायत शिवनगर से सलका–वृन्दावन मार्ग होते हुए माहदेवपारा के पास एक बार फिर 11 हाथियों का दल विचरण करते देखा गया। मंगलवार को ग्रामीण पंच राम (निवासी सलका) जब पगडंडी रास्ते से गुजर रहे थे, तभी नर्सरी के पास हाथियों से आमना-सामना हो गया। भयभीत ग्रामीण बाइक छोड़कर भाग निकला, जबकि हाथियों ने बाइक को कुचल कर नुकसान पहुंचाया।

वहीं कुछ दिन पूर्व हाथियों सड़क पर पहुंच कर नेशनल हाईवे करीब 45 मिनट तक बाधित कर दिया था। ट्रक और अन्य वाहन फंसे रहे। सूचना मिलने पर वन विभाग, हाथी मित्र दल और पुलिस ने मौके पर पहुंचकर वाहनों को रोकते हुए हाथियों को सुरक्षित सड़क पार कराया।


ग्रामीणों के अनुसार, बीते दो माह से यह दल शिवनगर, सलका और आसपास के गांवों में लगातार घूम रहा है। हाथियों ने कई किसानों के धान के खेतों को पूरी तरह रौंद दिया है। पकी हुई फसल खाकर और कुचलकर उन्होंने किसानों की सालभर की मेहनत को नष्ट कर दिया है। किसानों का कहना है कि यह उनकी जीवन-भर की पूंजी थी, जो अब मिट्टी में मिल गई। वहीं कई ग्रामीणों के घरों को हाथियों ने तोड़ डाला है। 

रात के समय ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। गांवों में हर रात डर का साया बना रहता है। लोग बारी-बारी से जागकर पहरा दे रहे हैं ताकि हाथियों से किसी तरह अपनी जान और बची-खुची फसल की रक्षा कर सकें। बच्चे और महिलाएं तक भय में जीने को मजबूर हैं।


विशेषज्ञों का कहना है कि यह समस्या केवल गांवों तक सीमित नहीं है। हसदेव अरण्य क्षेत्र में लगातार खनन गतिविधियाँ  विशेष रूप से परसा और बासेन खदानों का विस्तार — हाथियों के प्राकृतिक रास्तों को नष्ट कर रही हैं। पेड़ कट रहे हैं, जल स्रोत सूख रहे हैं और जंगल सिकुड़ते जा रहे हैं। इसके चलते हाथी गांवों की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे फसलों और ग्रामीणों दोनों को नुकसान झेलना पड़ रहा है।

ग्रामीणों ने शासन–प्रशासन से मांग की है कि हसदेव अरण्य और आसपास के क्षेत्रों में खनन गतिविधियों की समीक्षा की जाए, ताकि वन्यजीवों का प्राकृतिक घर सुरक्षित रह सके और किसानों को बार-बार ऐसी तबाही का सामना न करना पड़े।