सुरजपुर/प्रेमनगर। सुशासन और “जीरो टॉलरेंस” का दम भरने वाली प्रदेश सरकार के दावे अब ज़मीन पर धूल खाते दिखाई दे रहे हैं। योजनाओं की फाइलों में शासन चाहे पारदर्शिता की बात कर ले, लेकिन हकीकत यह है कि प्रेमनगर विकासखण्ड के अफसरों ने लालफीताशाही और कमीशनखोरी को अपना स्थायी नियम बना लिया है। नतीजा यह है कि करोड़ों की योजनाओं से लेकर लाखों की सड़कों तक — हर जगह भ्रष्टाचार का सीमेंट और मिलीभगत का गिट्टी इस्तेमाल हो रहा है।
विशेष केंद्रीय सहायता मद से निर्मित सड़क इसका ताज़ा उदाहरण है, जो एक वर्ष भी पूरा नहीं कर सकी और अब पूरी तरह जर्जर होकर ग्रामीणों के गुस्से का कारण बन चुकी है।
ग्राम पंचायत कंचनपुर में परमेश्वर घर से मुड़ा टिकरा पारा तक बनाई गई सीसी सड़क का निर्माण 12 जनवरी 2023 को शुरू हुआ था और इसे 5 सितंबर 2024 को पूरा बताया गया। 7 लाख 50 हजार की लागत से बनी यह सड़क 2025 में आते–आते पूरी तरह उखड़ चुकी है। जगह-जगह गिट्टियाँ निकल चुकी हैं और पूरी सड़क धूल का मैदान बन गई है।
ग्रामीणों का कहना है कि निर्माण के समय न तो इंजीनियर, न एसडीओ और न ही जनपद के तकनीकी अधिकारी कभी निरीक्षण के लिए पहुंचे। घटिया सामग्री और कमीशन की मिलीभगत ने सड़क की उम्र कुछ ही महीनों में समाप्त कर दी।
सड़क के उखड़ने के बाद ग्रामीणों में भारी नाराज़गी है। उन्होंने कहा कि “अगर सड़क जनता के टैक्स के पैसों से बनती है और एक साल में ही जवाब दे देती है, तो जिम्मेदार अधिकारी और सचिव क्यों न अपने वेतन से नई सड़क बनवाएं?”
ग्रामीणों ने मांग की है कि सड़क निर्माण में हुई अनियमितता की जांच कर संबंधित इंजीनियर, एसडीओ और पंचायत सचिव के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई अधिकारी योजनाओं को अपनी कमाई का जरिया न बना सके।
यह मामला सिर्फ एक सड़क का नहीं, बल्कि शासन की उस संवेदनहीनता का आईना है जहाँ योजनाएं “कागज़ों पर पूरी” और ज़मीन पर “धूल में तब्दील” हो रही हैं। प्रेमनगर जैसे अंचलों में विकास की परिभाषा अब “भ्रष्टाचार और कमीशन” के बीच दम तोड़ती दिख रही है।
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