सूरजपुर: शिक्षकों के जिला स्तरीय युक्तियुक्तकरण के लिए बनाई गई समिति के अध्यक्ष जिले के कलेक्टर एस जयवर्धन है साफ सुथरी छवि के अफसर है। लेकिन इस प्रक्रिया में इनकी टीम के खिलाड़ियों ने मैच फिक्स करते हुए नियम विरुद्ध ऐसा खेल खेला है जिससे यह मामला विवादित इतिहास का हिस्सा बनते जा रहा है...। इसे जिले का विवदित इतिहास बनाने में सबसे बड़ी भूमिका जिला शिक्षा अधिकारी भारती वर्मा की रही है। यह आरोप खुद उनके साथ काम करने वाले सैकड़ों शिक्षकों ने लगाए है..! गड़बड़ झाले प्रमाण भी दिए गए है। लेकिन शासन प्रशासन चाह कर भी इनका कुछ नहीं कर पाया है..। आखिर ऐसी भी क्या मजबूरी है..?
सूरजपुर जिला शिक्षा अधिकारी भारती वर्मा अब तक के महज चार महीने का कार्यकाल चर्चा और कई प्रसंगों से जुड़ा रहा है। जिसमें सबसे प्रमुख उनका व्यवहार जो शिक्षकों के प्रति अशिष्ट और तानाशाही भरा है। इनसे मुलाकात करने वाले बहुत से लोग भी यही मानते है..। अब तो आलम यह हो गया है कि सत्ता संगठन से जुड़े हुए जिले के जनप्रतिनिधि भी इनसे बात करने को कतराते है..! डर रहता है कही बेइज्जती न हो जाए ..। ऐसा वाक्या हो चुका है...! सूत्र इस बात को भली भांति बताते भी है।
जिले में विष्णु का सुशासन कुछ ऐसा है कि सूरजपुर जिले के कलेक्टर से मिलना और अपनी समस्या बताना बहुत आसान है। ग्रामीण कलेक्टर के पास जाने में ही हिचकते नहीं है। लेकिन जिला शिक्षा विभाग की डीईओ एकदम उलट है। टीम लीडर का मतलब कुछ और ही मान कर चल रही है। मीडिया में उपलब्धियों और दौरे की प्रेस विज्ञप्ति देने के मामले के ये आगे रहती है लेकिन मीडिया को सवालों के जवाब देने के मामले इनको एलर्जी है..।
अभी कुछ दिनों पहले ही सूरजपुर शिक्षक साझा मंच युक्तियुक्तकरण में पारदर्शिता की कमी का आरोप लगा चुका है..। आरोप का केंद्र जिला शिक्षा विभाग रहा है इस पर बड़े और सार्वजनिक आरोप लगे है कि इन्होंने ने वरिष्ठता सूची को काउंसलिंग में छिपा कर रखा,दावा-आपत्ति की प्रक्रिया नहीं अपनाई गई..! 31 मई को सोशल मीडिया पर सूची जारी कर 1 जून को काउंसलिंग कर दी गई, जिससे कई शिक्षक शामिल नहीं हो सके। 37 महिला शिक्षिकाओं को 9 रिक्त पदों से वंचित कर पुरुष शिक्षकों को प्राथमिकता दी गई। नजदीकी रिक्त पदों को छिपाकर महिलाओं को दूरस्थ क्षेत्रों में भेजा गया। संकुल समन्वयकों और छह माह में सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों को राहत नहीं दी गई। 3 जून की दूसरी काउंसलिंग का वादा तोड़ा गया, और शिक्षकों जब बात करने पहुंचे तो डीईओ भारती वर्मा शिक्षकों को डांटकर भगा दिया...!
सियासी रणनीतिकार अगर विचार करे तो डीईओ भारती वर्मा की कार्यशैली ने जिले के सिस्टम, सरकार और शिक्षकों के बीच ऐसे छेद किए हैं की जिसे भरना भविष्य में बहुत सरल नहीं होगा..! शिक्षक गांव के विकास की धूरी होता है वह शिक्षा के अलावा सरकारी योजनाओं का गांव के अंतिम स्तर तक प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से प्रचार प्रसार करता है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के जमीन से जुड़े लोग इनके महत्व को समझते है..। लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी
अपने पद के महत्व को कुछ और ही समझती हुई लग रही है। कहते है कि किसी विभाग के प्रमुख अफसर को उस विभाग में सरकार का प्रतिनिधि माना जाता है..! लेकिन सूरजपुर जिले का स्कूल शिक्षा विभाग विष्णु के सुशासन के प्रतिनिधित्व के रूप में फिट बैठता है या नहीं यह तो सत्ता में बैठे भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को तय करना है। इसके अलावा यह भी तय करना है कि इसी जिले में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया का विरोध इतना हाई क्यों हुआ है .?