सरपंच संघ ने लगाया सीईओ पर फर्जी बिल वसूली का आरोप हर पंचायत से 5800 रुपए की सीईओ निलेश सोनी कर रहे मांग


- हमर उत्थान सेवा समिति ने कहा ग्राम पंचायतों के खातों से राशि आहरण हेतु सीईओ की अनुमति अनिवार्य करना पूर्णतः असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और पंचायत राज अधिनियम के विपरीत है।


सूरजपुर। ओड़गी जनपद पंचायत के प्रभारी सीईओ निलेश सोनी पर फिर गंभीर आरोप लगे हैं। सरपंच संघ का कहना है कि जनपद सीईओ सचिवों पर दबाव बनाकर फर्जी बिलों के नाम पर प्रत्येक पंचायत से 5800 रुपये की अनिवार्य वसूली कर रहे हैं। न प्रस्ताव, न ग्रामसभा, न अनुमोदन सीधे फरमान और पैसा न देने पर कार्रवाई की धमकी।

5%–10% कमीशन की मांग से विकास कार्य ठप, भय का माहौल

संघ के अनुसार जनपद स्तर पर स्वीकृत होने वाले कार्यों में 5% से 10% तक कमीशन की मांग की जा रही है। इससे पंचायतों में विकास कार्य बंद हो गए हैं, शासन की योजनाएँ जमीन पर लागू नहीं हो पा रही हैं और ग्राम पंचायतों में भय, असंतोष और दबाव का वातावरण बन गया है।


पंचायतों के अधिकारों को कुचलने का आरोप सरपंचों की शक्ति पर हमला

सरपंचों ने कहा कि पहले ही पंचायतों को पर्याप्त बजट नहीं मिल रहा। ऊपर से इस तरह की वसूली और तुगलकी आदेशों ने व्यवस्था चरमराकर रख दी है। पंचायत राज अधिनियम के अनुसार ग्राम सरकार का प्रमुख सरपंच होता है, लेकिन सीईओ द्वारा जारी आदेशों में जनप्रतिनिधियों की भूमिका को नगण्य किया जा रहा है।


सरपंच संघ ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा निष्पक्ष जांच की मांग

सरपंच संघ ने कलेक्टर को ज्ञापन देकर मांग की है कि कमीशन मांग, वसूली और दबाव की सभी गतिविधियों पर तत्काल रोक लगाई जाए। बजट का समय पर वितरण और पंचायत कार्यों में सरपंचों की सहमति अनिवार्य की जाए। संघ ने उच्चस्तरीय, निष्पक्ष जांच की मांग की है।

क्लिक कर देखे शिकायत ? रीपा योजना में हुई थी शिकायत

पुराने विवाद फिर उभरे प्रेमनगर रीपा घोटाले का जिक्र

जनपद सीईओ निलेश सोनी पर पहले भी गंभीर आरोप लग चुके हैं। प्रेमनगर जनपद में पदस्थ रहने के दौरान रीपा योजना में भारी गड़बड़ी, गांव वृंदावन का कार्य छीनकर राजनीतिक संरक्षण में दूसरे व्यक्ति को दिलाना और लगभग 15 लाख रुपये का अधिक भुगतान कराने का आरोप आज भी चर्चाओं में है। मुख्य सचिव ने जांच का आदेश दिया था, परंतु जांच अधिकारी ने लीपापोती कर दी। बाद में कलेक्टर ने सरपंच, सचिव, ठेकेदार पर अपराध दर्ज कराया, लेकिन सीईओ सोनी पर कार्रवाई नहीं हुई। करीब एक वर्ष तक इन्हें जिला पंचायत में अटैच रखा गया था।


ओड़गी आते ही नया तुगलकी आदेश  बैंक से राशि आहरण के लिए सीईओ अनुमति अनिवार्य

ओड़गी विकासखंड का प्रभार मिलते ही श्री सोनी ने एक नया विवादित आदेश जारी कर दिया। इसमें ग्राम पंचायतों के बैंक खाते से राशि निकालने के लिए सीईओ की अनुमति अनिवार्य कर दी गई है। पंचायत राज में यह आदेश सीधे-सीधे ग्राम सरकार की स्वायत्तता पर हमला माना जा रहा है और इसे भ्रष्टाचार को संस्थागत रूप देने की कोशिश बताया जा रहा है।


"हमर उत्थान सेवा समिति" की कड़ी आपत्ति भ्रष्टाचार को वैध बनाने की कोशिश अस्वीकार्य

हमर उत्थान सेवा समिति ने इस पूरे प्रकरण को लोकतांत्रिक पंचायत व्यवस्था पर सीधा प्रहार बताया है। समिति ने तीखी आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि ग्राम पंचायतें संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त स्थानीय सरकार हैं, और किसी भी अधिकारी को उनके अधिकार व बजट पर अवैध कब्जा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। हमर उत्थान सेवा समिति ने कहा कि 5800 रुपये की जबरन वसूली, कमीशन मांग, फर्जी बिल, और बैंक अनुमति आदेश ये सब गंभीर भ्रष्टाचार के संकेत हैं, जिनकी तत्काल उच्चस्तरीय जांच आवश्यक है।

प्रशासन की चुप्पी भी सवालों में बताएं एक भ्रष्टाचार में लिप्त अफसर क्यों दिया जनपद..

लगातार बढ़ते आरोप, सरपंचों का रोष, सीईओ के पिछले रिकॉर्ड और तुगलकी आदेश इन सबके बाद भी प्रशासन की चुप्पी जनपद में सवालों का बड़ा विषय बन गई है। पंचायतों ने पूछा है कि आखिर कब तक जनपद पंचायत का संचालन मनमानी और अवैध वसूली से चलता रहेगा।