गांव की शिक्षा बदहाल: दिनदहाड़े स्कूल पर ताला, विभाग चुप, कौन लेगा जिम्मेदारी ?
सुरजपुर। छत्तीसगढ़ में नई सरकार के आने के बाद शिक्षा व्यवस्था में सुधार की उम्मीदें बनी थीं, लेकिन सुरजपुर जिले के हालात यह दिखा रहे हैं कि ज़मीन पर न तो शिक्षक अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं और न ही अधिकारी निरीक्षण के लिए आगे आ रहे हैं। प्रेमनगर विकासखंड का सीमावर्ती गाँव सारस्ताल आज शिक्षा विभाग की उपेक्षा और शिक्षकों की मनमानी का सबसे स्पष्ट उदाहरण बन चुका है।
दुर्गम रास्ते का बहाना और शिक्षकों की मनमानी
यह गाँव भले प्रेमनगर क्षेत्र में आता है, लेकिन यहाँ तक पहुँचने के लिए कोरिया–कोरबा सीमा की ओर से लंबा घुमावदार मार्ग तय करना पड़ता है। कठिन मार्ग की इस समस्या का लाभ शिक्षक लगातार उठाते रहे हैं और इसी वजह से स्कूल की स्थिति लगातार बिगड़ती गई है। दोपहर 2 बजे स्कूल में लटका मिला ताला 2 दिसम्बर, दिन मंगलवार को दोपहर 2 बजे जब हमारी टीम स्कूल पहुँची, तो विद्यालय के मुख्य दरवाजे पर ताला लटका मिला। यह दृश्य अपने आप में शिक्षा विभाग की लापरवाही की पुष्टि करता है। ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल में दो शिक्षक हिरा सिंह और विजय बघेल तो पदस्थ हैं, लेकिन उनका नियमित रूप से स्कूल आना-जाना बिल्कुल तय नहीं है। सप्ताह में अधिकतम तीन से चार दिन ही स्कूल खुलता है, जबकि अधिकतर समय दोनों शिक्षक अनुपस्थित रहते हैं। बच्चों की संख्या 8–10 है, लेकिन अधिकांश बच्चे न हिंदी पढ़ पा रहे हैं और न ही गिनती सही से जानते हैं, जो बताता है कि शिक्षा का कोई वास्तविक संचालन नहीं हो रहा है।
अधिकारियों की अनदेखी : कागजों में 'सब ठीक'
ग्रामीणों का कहना है कि बच्चे रोज़ सुबह स्कूल जाने को तैयार रहते हैं, लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी ही नहीं रहती कि स्कूल खुलेगा या बंद। उनकी शिकायत है कि शिक्षक अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं और विभाग इसे गंभीरता से नहीं ले रहा। गाँव में रहने वाले आदिवासी परिवारों का यह भी कहना है कि महीनों से कोई अधिकारी—न बीईओ, न एबीईओ, न बीआरसी—गाँव में निरीक्षण करने नहीं आया। संकुल समन्वयक विजय साहू पर भी ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि वे कभी वास्तविक निरीक्षण नहीं करते और सिर्फ कागजों में सबकुछ ठीक दिखाकर आगे बढ़ जाते हैं। स्कूल के भवन का पुताई नहीं हुआ है। नया आधे अधूरे भवन को शिक्षा विभाग हैंड ओवर कर लिया है।
हमर उत्थान सेवा समिति ने जताई गहरी नाराजगी
हमर उत्थान सेवा समिति ने इस पूरी स्थिति पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सीमावर्ती और आदिवासी क्षेत्रों की शिक्षा को विभाग ने पूरी तरह उपेक्षित कर दिया है। समिति का कहना है कि अधिकारी सिर्फ कार्यालयों तक सीमित हैं और शिक्षक कठिन पहुँच का बहाना बनाकर अपनी ड्यूटी से बचते रहे हैं, जबकि इसी क्षेत्र के बच्चे सबसे अधिक शैक्षिक सहायता और ध्यान के हकदार हैं। समिति ने बताया कि टीम को गाँव तक पहुँचने के लिए लंबा और मुश्किल सफर तय करना पड़ा, लेकिन शिक्षकों के लिए यही कठिन मार्ग सुविधाजनक बहाना बन चुका है और विभाग ने भी इसे मानो स्वीकार ही कर लिया है। इस वजह से पूरे क्षेत्र की शिक्षा व्यवस्था लगातार कमजोर होती जा रही है।
कलेक्टर से गुहार: लापरवाहों पर हो कार्रवाई
हमर उत्थान सेवा समिति ने कलेक्टर से मांग की है कि दोनों शिक्षकों पर तत्काल कठोर कार्रवाई की जाए और उच्च अधिकारियों संकुल समन्वयक, बीईओ, एबीईओ और बीआरसी—की जिम्मेदारियों की जाँच की जाए, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि निरीक्षण में गंभीर चूक कहाँ हुई है। साथ ही समिति ने सीमावर्ती क्षेत्रों में विशेष निरीक्षण व्यवस्था लागू करने और आदिवासी क्षेत्रों में साप्ताहिक रिपोर्ट की अनिवार्यता सुनिश्चित करने की अपील की है।
गहरे संकट में जिले का भविष्य
ग्राम सारस्ताल का ताला बंद स्कूल किसी एक दिन की घटना नहीं, बल्कि पूरे जिले की चरमराती शिक्षा व्यवस्था का वह चेहरा है जो बताता है कि कठिन पहुँच वाले क्षेत्रों को लगातार उपेक्षित रहने दिया गया है। यदि प्रशासन ने अभी भी इस स्थिति को गंभीरता से नहीं लिया, तो आने वाली पीढ़ियाँ इसी अव्यवस्था के दुष्परिणाम झेलेंगी और यह सुरजपुर जिले के भविष्य को गहरे संकट में डाल देगा।