प्रेमनगर। सुरजपुर जिले के ग्रामीण अंचल में बच्चों की सुरक्षा को लेकर प्रशासनिक दावों की हकीकत एक बार फिर उजागर हो गई है। प्रेमनगर विकासखंड के ग्राम चंद्रनगर स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में दो वर्ष की पण्डो जनजाति की बच्ची पर आवारा कुत्ते के हमले ने विभागीय सुस्ती और सुरक्षा प्रबंधन की कमजोरी को साफ़ सामने ला दिया। यह घटना उस समुदाय की बच्ची के साथ हुई है जिसे संरक्षित जनजाति का दर्जा प्राप्त है और जिन्हें परंपरागत रूप से राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र-पुत्री माना जाता है। ऐसे संवेदनशील समूह के बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है, जो यहां पूरी तरह नदारद दिखी।
गुरुवार सुबह पण्डो पारा स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में बच्ची बालू में खेल रही थी, जबकि केंद्र की कार्यकर्ता और सहायिका फेस कैप्चरिंग के काम में व्यस्त थीं। इसी दौरान एक आवारा कुत्ता अचानक झपट पड़ा और बच्ची के दाहिने हाथ में काट लिया। बच्ची को तुरंत प्रेमनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां रेबीज रोधी टीका लगाया गया। माता-पिता भूनेश्वरी पण्डो और शनि लाल पांडे ने केंद्र में सुरक्षा के अभाव पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया है।
ग्रामीणों का कहना है कि केंद्र परिसर लंबे समय से कुत्तों की आवाजाही का शिकार रहा है, लेकिन विभाग ने कभी ठोस कदम नहीं उठाया। केंद्र के चारों ओर बाउंड्री नहीं है, जिससे परिसर जानवरों के लिए खुला मैदान बना हुआ है। सवाल यह उठ रहा है कि जब संरक्षित जनजाति के बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो पा रही, तो बाकी समुदायों की स्थिति का अंदाजा खुद लगाया जा सकता है।
बीते महीनों में प्रदेश में स्कूल-कॉलेजों में कुत्तों की बढ़ती मौजूदगी को लेकर कई घटनाएँ सामने आई हैं, जिस पर प्रशासन ने एक-दो औपचारिक निर्देश जरूर जारी किए, लेकिन जमीन पर कोई ठोस व्यवस्था नहीं बन सकी। चंद्रनगर की यह घटना उन खोखले दावों की याद दिलाती है, जिनके भरोसे बच्चों की सुरक्षा नहीं की जा सकती।
घटना के बाद पण्डो पारा में भय और नाराज़गी दोनों का माहौल है। ग्रामीणों ने कहा कि बच्चों के खेलने का सुरक्षित क्षेत्र तय नहीं है और केंद्र की नियमित निगरानी लगभग नाममात्र की है। उनका आरोप है कि विभाग की लापरवाही किसी भी समय और बड़े हादसे का रूप ले सकती है।
इस बीच हमर उत्थान सेवा समिति के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश साहू ने घटना को सुरक्षा तंत्र की स्पष्ट विफलता बताया। उनके अनुसार संरक्षित पण्डो जनजाति की बच्ची पर हमला महज़ दुर्घटना नहीं, बल्कि विभागीय उदासीनता का प्रत्यक्ष परिणाम है। समिति ने जिला प्रशासन से पूछा है कि संवेदनशील आंगनबाड़ी केंद्रों में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत क्यों नहीं की गई। संगठन ने जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई और ग्रामीण क्षेत्रों की सख्त निगरानी की मांग उठाई है।