सूरजपुर। माननीय न्यायालय के आदेशों के अनुपालन एवं विधि के शासन को सुदृढ़ करने की दिशा में जिला सूरजपुर में एक महत्वपूर्ण कार्रवाई संपन्न हुई। सिविल निष्पादन प्रकरण क्रमांक 6/2021, रामफल बनाम फूलकुंवर व अन्य में माननीय तृतीय व्यवहार न्यायाधीश (वरिष्ठ श्रेणी), सूरजपुर के आदेश के अनुसार ग्राम बांसापारा, चौकी बसदेई, थाना एवं तहसील भैयाथान स्थित खसरा नंबर 453, रकबा 0.23 आर भूमि का वास्तविक कब्जा डिक्रीधारी पक्ष को विधिवत रूप से दिलाया गया।

यह कार्रवाई डिक्री दिनांक 24 अगस्त 2015 के तहत की गई। माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर के मेमो परिपत्र क्रमांक 8511/एस.सी.एम.एम. दिनांक 03.05.2025 तथा प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सूरजपुर के पत्र क्रमांक क/एक-15/2024 दिनांक 26.05.2025 के अनुसार सभी निष्पादन प्रकरणों का निराकरण छह माह के भीतर किया जाना अनिवार्य है। उक्त निर्देशों के अनुपालन में न्यायालय द्वारा कब्जा वारंट जारी कर प्रशासनिक अधिकारियों को कार्यवाही के लिए निर्देशित किया गया था।


न्यायालय की आदेशिका के पालन में नायब तहसीलदार प्रियंका टोप्पो के नेतृत्व में राजस्व अमला तथा सिविल न्यायालय सूरजपुर के आदेशिका वाहक विष्णु ठाकुर की उपस्थिति में संपूर्ण कार्रवाई शांतिपूर्वक संपन्न कराई गई। राजस्व निरीक्षक एवं पटवारी द्वारा मौके पर पहुँचकर भूमि का स्थल निरीक्षण, सीमांकन एवं चिन्हांकन किया गया, जिसके उपरांत न्यायालय के निर्देशानुसार डिक्रीधारी पक्ष को भूमि का विधिवत कब्जा दिलाया गया।

कार्यवाही के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने हेतु पर्याप्त पुलिस बल तैनात रहा। पुलिस एवं प्रशासन की तत्परता से सम्पूर्ण प्रक्रिया शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष रूप से पूरी हुई तथा किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति उत्पन्न नहीं हुई।

स्थल निरीक्षण उपरांत अधिकारियों ने अपनी प्रतिवेदन रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत की। इस कार्रवाई में राजस्व विभाग, पुलिस प्रशासन एवं न्यायालयिक अमले की सक्रिय भूमिका सराहनीय रही।

ग्राम बांसापारा में संपन्न हुई यह कार्रवाई न्यायालय के आदेशों के प्रति प्रशासन की संवेदनशीलता, तत्परता एवं न्यायिक व्यवस्था के प्रति सम्मान का उत्कृष्ट उदाहरण है। इससे यह स्पष्ट संदेश गया है कि न्यायालय के आदेशों का पालन हर स्थिति में सुनिश्चित किया जाएगा तथा न्याय पाने के अधिकार की रक्षा प्रशासन पूर्ण निष्ठा और जिम्मेदारी से करेगा।

इस प्रकार, न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप डिक्रीधारी पक्ष को भूमि का विधिवत कब्जा दिलाकर न्यायिक प्रक्रिया की गरिमा एवं विधि शासन की प्रतिष्ठा को सुदृढ़ किया गया।