रिपोर्ट — चंद्र प्रकाश साहू/ लोकविचार न्यूज़
प्रेमनगर।सुरजपुर जिले के प्रेमनगर विकासखण्ड में फैले भ्रष्टाचार की परतें एक बार फिर खुल गईं जब आर.ई.एस. विभाग के एसडीओ ऋषिकांत तिवारी को एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की टीम ने नवापारा खुर्द निवासी शिकायतकर्ता दिगम्बर सिंह के घर पर ₹15,000 की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया। यह कार्रवाई बुधवार शाम करीब 6 से 7 बजे के बीच हुई, जब एसीबी की टीम ने योजना के अनुसार मौके पर दबिश दी और अधिकारी को पकड़ा। यह गिरफ्तारी केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उस पूरे तंत्र की पोल खोलती है जो वर्षों से जनहित की योजनाओं को अपनी जेब भरने का साधन बना चुका है।
तालाब निर्माण के नाम पर रिश्वत — शिकायतकर्ता ने रचा एसीबी जाल
शिकायतकर्ता दिगम्बर सिंह, निवासी नवापारा खुर्द, ने बताया कि उसने मत्स्य विभाग से तालाब निर्माण के लिए ₹1.50 लाख की स्वीकृति कराई थी। कार्य के सत्यापन के बहाने एसडीओ ऋषिकांत तिवारी ने उससे ₹15,000 की रिश्वत की मांग की थी।
पहले तिवारी ने जनपद परिसर में राशि लेने से इनकार करते हुए कहा कि गांव में ही पैसा लेगा ताकि किसी को भनक न लगे। शिकायतकर्ता ने इस बात की सूचना एसीबी को दी। इसके बाद ब्यूरो की टीम ने पूरी योजना बनाकर नवापारा खुर्द में जाल बिछाया और जैसे ही तिवारी ने शिकायतकर्ता के घर में रिश्वत की रकम ली, टीम ने मौके पर उसे पकड़ लिया।
पांच साल से जमाए थे पांव — घटिया निर्माण कार्यों की लंबी सूची
सूत्रों के अनुसार, ऋषिकांत तिवारी पिछले पांच वर्षों से प्रेमनगर में पदस्थ था। उसके कार्यकाल में पुल-पुलिया, सड़क और पंचायत भवन जैसी योजनाओं में घटिया काम हुए, जिन पर कई बार सवाल उठे। ग्रामीणों और प्रतिनिधियों की शिकायतों के बावजूद विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की — बल्कि उल्टा उसे प्रमोशन देकर एसडीओ बनाकर उसी क्षेत्र में दोबारा पदस्थ कर दिया। यह इस बात का सबूत है कि विभागीय तंत्र में भ्रष्टाचार को न केवल सहन किया जा रहा है, बल्कि संरक्षण भी दिया जा रहा है।
सवाल प्रशासन से — क्या जिम्मेदार अधिकारी भी जांच के घेरे में आएंगे?
अब सवाल उठता है कि बार-बार शिकायतों के बाद भी तिवारी को एक ही क्षेत्र में क्यों बनाए रखा गया ? क्या विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से ही वह इतने वर्षों तक खुलेआम वसूली करता रहा ? और अब जब वह नवापारा खुर्द में शिकायतकर्ता के घर से रिश्वत लेते पकड़ा गया है, क्या विभाग उस पर कठोर कार्रवाई करेगा या फिर मामले को रफादफा कर देगा?
जनता का गुस्सा — “अब बहुत हो गया”
स्थानीय ग्रामीणों ने कहा कि “तिवारी जैसे अफसर सरकारी कुर्सी पर बैठकर जनता को लूटते हैं। हर योजना के सत्यापन से पहले वसूली तय होती है। अब जब एसीबी ने उसे रंगे हाथ पकड़ा है, तो बाकी मिलीभगत करने वालों पर भी कार्रवाई जरूरी है। ”ग्रामीणों का कहना है कि “यह केवल एक अफसर की बात नहीं, पूरा तंत्र सड़ा हुआ है।”
भ्रष्टाचार पर चोट — सबक या दिखावा?
अब नजर इस बात पर है कि शासन-प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है। यदि कार्रवाई केवल कागज़ों में सिमट गई तो यह “एसीबी की सफलता” नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार के लिए एक और सुरक्षा कवच साबित होगी।
हर विभाग में ऐसे कई “तिवारी” आज भी सक्रिय हैं, जो जनता के विकास बजट को अपनी निजी कमाई का ज़रिया बना चुके हैं। समय आ गया है कि सरकार ऐसे अधिकारियों पर उदाहरणात्मक कार्रवाई करे — ताकि सिस्टम में बैठे बाकी लोग भी सबक लें।